विकसित भारत–जी राम जी विधेयक 2025 से बदलेगी ग्रामीण रोजगार नीति की दिशा
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विकसित भारत–जी राम जी विधेयक 2025 से ग्रामीण रोजगार में 125 दिन की गारंटी, नॉर्मेटिव फंडिंग और अवसंरचना आधारित विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नॉर्मेटिव फंडिंग और तकनीक आधारित निगरानी से पारदर्शिता, जवाबदेही और केंद्र-राज्य समन्वय में सुधार होगा।
दिल्ली/ भारत की ग्रामीण रोजगार नीति एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रही है जहाँ रोज़गार को केवल सामाजिक सुरक्षा के औज़ार के रूप में नहीं, बल्कि दीर्घकालिक विकास की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इसी बदलाव का प्रतीक है विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, 2025, जो लगभग दो दशकों से लागू मनरेगा की जगह एक नया, अधिक समन्वित और परिणाम-केंद्रित वैधानिक ढांचा प्रस्तुत करता है।
मनरेगा ने ग्रामीण भारत को आय सुरक्षा देने, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। किंतु समय के साथ यह स्पष्ट हुआ कि सिर्फ मांग-आधारित रोजगार गारंटी आज के बदलते ग्रामीण यथार्थ के अनुरूप नहीं रह गई है। घटती गरीबी, विविध आजीविकाएँ और बेहतर कनेक्टिविटी ने नीति से अधिक पूर्वानुमेयता, जवाबदेही और उत्पादकता की मांग की है।
नया विधेयक इसी आवश्यकता का उत्तर देता है। प्रति ग्रामीण परिवार 125 दिनों की रोजगार गारंटी, रोजगार को जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका निर्माण और जलवायु अनुकूलन जैसे चार प्राथमिक क्षेत्रों से जोड़ना और परिसंपत्तियों को राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक से जोड़ना—ये सभी कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत आधार देने का संकेत देते हैं। यह बदलाव रोजगार को अल्पकालिक राहत से निकालकर स्थायी संपत्ति सृजन से जोड़ता है।
वित्तीय दृष्टि से, डिमांड-बेस्ड मॉडल से नॉर्मेटिव फंडिंग की ओर संक्रमण एक बड़ा नीतिगत संकेत है। इससे बजटीय अनिश्चितता कम होगी और केंद्र-राज्य साझेदारी अधिक संतुलित बनेगी। साथ ही, प्रशासनिक व्यय सीमा को बढ़ाकर जमीनी क्षमता निर्माण पर ज़ोर देना यह स्वीकार करता है कि प्रभावी कार्यान्वयन बिना मज़बूत मानव संसाधन के संभव नहीं।
तकनीक-आधारित निगरानी, एआई, बायोमेट्रिक उपस्थिति, जीपीएस टैगिंग और अनिवार्य सामाजिक लेखा-परीक्षा के प्रावधान पारदर्शिता को संस्थागत रूप देते हैं। हालांकि, इन सुधारों की सफलता राज्यों और पंचायतों की कार्यान्वयन क्षमता, डिजिटल समावेशन और स्थानीय स्तर पर कौशल विकास पर निर्भर करेगी।
कुल मिलाकर, विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, 2025 ग्रामीण रोजगार को कल्याण से क्षमता निर्माण की दिशा में ले जाने का प्रयास है। यदि इसे संवेदनशीलता और दक्षता के साथ लागू किया गया, तो यह न केवल ग्रामीण आय सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर एक ठोस कदम सिद्ध हो सकता है।
विकसित भारत–जी राम जी विधेयक, 2025 : अध्ययन नोट्स
1. विधेयक का उद्देश्य
यह विधेयक मनरेगा (2005) का स्थान लेकर ग्रामीण रोजगार को
विकसित भारत 2047 के दीर्घकालिक विज़न से जोड़ता है।
मुख्य लक्ष्य:
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आय सुरक्षा बढ़ाना
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उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण
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पारदर्शिता व जवाबदेही सुदृढ़ करना
2. मनरेगा से प्रमुख अंतर
| बिंदु | मनरेगा | जी राम जी विधेयक |
|---|---|---|
| रोजगार गारंटी | 100 दिन | 125 दिन |
| फंडिंग | Demand-based | Normative funding |
| फोकस | मजदूरी | मजदूरी + अवसंरचना |
| निगरानी | सीमित डिजिटल | AI, GPS, MIS, Biometric |
3. चार प्राथमिक कार्य-क्षेत्र
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जल सुरक्षा (जल संचयन, भूजल)
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मुख्य ग्रामीण अवसंरचना (सड़क, कनेक्टिविटी)
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आजीविका अवसंरचना (भंडारण, बाजार)
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जलवायु अनुकूलन (बाढ़, सूखा, मृदा संरक्षण)
4. वित्तीय ढांचा
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कुल अनुमानित व्यय: ₹1.51 लाख करोड़/वर्ष
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केंद्र-राज्य साझेदारी:
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सामान्य राज्य: 60:40
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NE/Himalayan: 90:10
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UTs (बिना विधानसभा): 100% केंद्र
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5. प्रशासनिक व संस्थागत सुधार
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प्रशासनिक व्यय सीमा: 6% → 9%
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बहु-स्तरीय ढांचा:
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राष्ट्रीय → राज्य → जिला → ग्राम
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ग्राम सभाओं की भूमिका बढ़ी
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6 माह में अनिवार्य Social Audit
6. पारदर्शिता व तकनीक
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AI आधारित अनियमितता पहचान
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GPS-tagged कार्य
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Biometric attendance
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Real-time MIS dashboard
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Weekly public disclosure
यह विधेयक कल्याण से क्षमता निर्माण की ओर स्पष्ट बदलाव दर्शाता है। यह ग्रामीण रोजगार को अस्थायी राहत नहीं बल्कि स्थायी विकास उपकरण बनाता है। विकसित भारत 2047 के लिए यह एक संरचनात्मक सुधार है।